उत्‍तराखंड में तापमान बढ़ने के साथ धधकने लगे हैं जंगल, सबकी नजरें आसमान पर हैं गड़ी

Uttarakhand Forest fire उत्तराखंड में अप्रैल से ही उछाल भरते पारे ने आमजन की मुसीबत तो बढ़ा ही दी है, वन संपदा के लिए भी बड़ा खतरा पैदा हो गया है। तापमान बढ़ने के साथ ही राज्य में जंगल धधकने लगे हैं। इससे वन विभाग के अधिकारियों की पेशानी पर बल पड़े हैं।

वन विभाग चिंता नहीं हो रही कम

यद्यपि, वन विभाग की टीमें अग्नि दुर्घटनाओं पर नियंत्रण के लिए जुटी हैं, लेकिन चिंता कम होने का नाम नहीं ले रही। यह इसलिए भी बढ़ गई है, क्योंकि मौसम विभाग ने अगले कुछ दिन मौसम शुष्क रहने की संभावना जताई है। यानी, पारा और उछाल भरेगा। ऐसे में सबकी नजरें आसमान पर गड़ी हैं कि कब इंद्रदेव मेहरबान हों और जंगलों में आग पर नियंत्रण हो।

हर साल वन संपदा को पहुंचती है क्षति

यह किसी से छिपा नहीं है कि 71.05 प्रतिशत वन भूभाग वाले उत्तराखंड में हर साल ही आग से वन संपदा को भारी क्षति पहुंचती है। पहले तो फायर सीजन यानी 15 फरवरी से मानसून आने की अवधि तक ही जंगल अधिक सुलगते थे, लेकिन अब यह अवधारणा टूटी है।

सर्दियों में ही धधक उठे थे जंगल

वर्ष 2020 में सर्दियों में ही जंगल धधक उठे थे। इसे देखते हुए तब सरकार ने पूरे वर्ष को फायर सीजन के रूप में घोषित कर दिया था। पिछले वर्ष सर्दियों में लगातार बारिश व बर्फबारी होने के कारण स्थिति नियंत्रण में रही, लेकिन अब जबकि मौसम के शुष्क होने के साथ ही पारा उछाल भरने लगा है तो इसी अनुपात में जंगल भी सुलगने लगे हैं।

अब तक हो चुकी है 154 घटनाएं

इस बार 15 फरवरी से अब तक जंगलों में आग की 154 घटनाएं हो चुकी हैं, जिनमें 206 हेक्टेयर वन क्षेत्र को क्षति पहुंची है। अब तो जंगल की आग आबादी के नजदीक तक पहुंचने लगी है। बीते दिवस ही आग नैनीताल जिले में आबादी के पास तक पहुंच गई थी, जिसे बमुश्किल काबू पाया गया।

अगले कुछ दिन मौसम रहेगा शुष्क

अगले कुछ दिन मौसम के शुष्क रहने के पूर्वानुमान के मद्देनजर वन विभाग की चिंता अधिक बढ़ गई है। यद्यपि, विभाग ने आग की दृष्टि से संवेदनशील स्थल चिह्नित किए हैं, लेकिन जिस तरह से पारा उछाल भर रहा है, उससे चुनौती अधिक बढ़ गई है।

सभी फील्डकर्मी अलर्ट मोड में

मुख्य वन संरक्षक एवं राज्य के नोडल अधिकारी वनाग्नि निशांत वर्मा के अनुसार विभाग की ओर से आग से निबटने की लगभग सभी तैयारियां पूरी हैं। सभी फील्डकर्मी अलर्ट मोड में हैं। आग लगने की सूचना मिलते ही उस पर काबू पाने के लिए युद्धस्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने स्थानीय ग्रामीणों से भी अपील की है कि वे जंगल की आग पर नियंत्रण में विभाग को सक्रिय सहयोग दें।

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