Uttarakhand Assembly Monsoon Session 2021: Opposition Attack On Government And Walkout – उत्तराखंड विस सत्र: जाति प्रमाण पत्र के मुद्दे पर विपक्ष का सांकेतिक वॉकआउट, कोविड की तैयारियों को लेकर सरकार को घेरा

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उत्तराखंड विधानसभा
– फोटो : फाइल फोटो

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उत्तराखंड विधानसभा सत्र के दूसरे दिन जाति प्रमाण पत्र के मुद्दे को लेकर विपक्ष ने सदन से सांकेतिक वॉकआउट किया। कांग्रेस विधायकों ने वेल में आकर हंगामा भी काटा। जवाब में संसदीय कार्य मंत्री बंशीधर भगत ने कहा कि प्रमाण पत्र बनाने में यदि दिक्कतें आ रही हैं तो सरकार इस पर पुनर्विचार करेगी। 

मंगलवार को कांग्रेस विधायक ममता राकेश के कार्यस्थगन प्रस्ताव पर नियम 58 में जाति प्रमाण पत्र के मुद्दे पर चर्चा की गई। विपक्ष की ओर से नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह, विधायक काजी निजामुद्दीन, ममता राकेश ने कहा सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ लेने के लिए लोगों को जाति प्रमाण पत्र बनाने में दिक्कतें आ रही है। जाति प्रमाण पत्र बनाने के लिए वर्ष 1985 के दस्तावेज मांगे जा रहे हैं। दस्तावेज उपलब्ध न होने पर प्रमाण पत्र से वंचित हैं।

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सरकार को जाति प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया का सरलीकरण कर दस्तावेजों के लिए नौ नवंबर 2000 रखी जानी चाहिए। स्थायी निवास प्रमाण पत्र भी मात्र छह माह के लिए मान्य होता है। जिससे बार-बार नए सिरे से प्रमाण पत्र बनाने प्रक्रिया अपनानी पड़ती है। प्रमाण पत्र को मान्य होनेे की तिथि भी एक साल होनी चाहिए। सरकार के जवाब से असंतुष्ट विपक्ष ने वेल में आकर हंगामा काटा और सांकेतिक रूप से वॉकआउट किया। 

हंगामे को देखते हुए कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने विपक्ष के सवालों का जवाब दिया। उन्होंने कहा कि जाति प्रमाण पत्र जारी करने को दस्तोवजों की तारीख 9 नवंबर 2000 है। वर्ष 2013 में कांग्रेस सरकार के समय में इसका शासनादेश जारी किया गया था। जिसमें यह भी प्रावधान किया गया था कि स्थायी निवास प्रमाण पत्र बनाने के लिए राज्य गठन से 15 साल से स्थायी तौर पर राज्य में रहने वाला होना चाहिए। संसदीय कार्य मंत्री बंशीधर भगत ने कहा कि जाति प्रमाण पत्र बनाने में यदि कोई दिक्कत आ रही है तो सरकार इस पर पुनर्विचार करेगी। 

देशराज कर्णवाल ने किया सरकार को असहज
सदन में सत्तापक्ष उस समय असहज हो गया जब कार्यस्थगन में विपक्ष के मामला उठाए जाने के दौरान झबरेड़ा भाजपा विधायक देशराज कर्णवाल ने जाति प्रमाण पत्र के मामले में फाइल मंत्री के कार्यालय में दबी होने की बात उठाई। कर्णवाल ने कहा कि  2014 में न्यायालय ने इस मामले सरकार को आदेश दिया था। लेकिन 2019 से मंत्री के पास फाइल पड़ी है। विपक्ष ने भी देशराज कर्णवाल की टिप्पणी को भुनाने में देरी नहीं लगाई। विपक्ष का कहना था कि जाति प्रमाण पत्र की दिक्कतों का सत्ता पक्ष के विधायक भी स्वीकार कर रहे हैं।

कोविड महामारी की दो लहर में बदइंतजामी और तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए अधूरी तैयारियों को लेकर मंगलवार को सदन में विपक्ष ने सरकार को घेरा। हालांकि सरकार ने स्पष्ट किया है कि तीसरी लहर के लिए वह पूरी तरह से तैयार हैं। 

स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि अब तक प्रदेश में 79 लाख लोगों को कोविड से बचाव की वैक्सीन दी जा चुकी है, जिनमें से 19 लाख को दोनों डोज दी जा चुकी हैं। हमारे राज्य का औसत 76 प्रतिशत है। हमारे दो जिले बागेश्वर और रुद्रप्रयाग पूरे देश में सबसे पहले पूर्ण वैक्सीनेशन वाले राज्य बने हैं। चार और जिलों में पांच सितंबर तक यह लक्ष्य हासिल कर लिया जाएगा। राज्य में सरकारी अस्पतालों में 70 बाल रोग विशेषज्ञ हैं। जबकि 126 मेडिकल कॉलेजों में हैं और 239 प्राइवेट हैं।

अगर जरूरी हुआ तो हम तीन लाख रुपये वेतन पर भी बाल रोग विशेषज्ञ भर्ती करेंगे। पहले कोरोना टेस्टिंग की एक लैब थी, जिनकी संख्या आज 11 है। 26 प्राइवेट लैब भी हैं। 44 जगहों पर हम टेस्टिंग की व्यवस्था करने जा रहे हैं जबकि 256 टीमें हैं जो कहीं भी जाकर कोविड टेस्ट कर सकती हैं। राज्य में पहले केवल एक ऑक्सीजन प्लांट था। आज 88 हैं, जिनमें से 42 ने काम भी शुरू कर दिया है। बाकी का काम अगले 15 दिन के भीतर शुरू हो जाएगा। 

विधायकों को दिक्कत है तो अपने अपने स्तर से खरीद लें उपकरण
सदन में विपक्ष ने चिकित्सा उपकरण खरीद की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए इसे लचर सिस्टम करार दिया। विपक्ष के विधायकों का कहना था कि विधायक निधि से पैसा देने के बाद भी समय से उपकरणों की खरीद नहीं हो रही है। इस पर स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि विधायकों को अगर ऐतराज है तो अपनी किसी अन्य कार्यदायी संस्था के माध्यम से उपकरणों की खरीद कर सकते हैं। इसके लिए वह संबंधित जिले के सीएमओ को निर्देश भी दे देंगे।

नियम-58 के तहत सबसे पहले विपक्ष के नेता प्रीतम सिंह ने कहा कि जहां केंद्र की सरकार ताली और थाली बजवाकर कोरोना से निपटने में नाकाम साबित हुई, वहीं राज्य की सरकार भी हालात को काबू नहीं कर पाई। राज्य सरकार ने गुजरात के लोगों को तो बसों से सकुशल भेज दिया लेकिन उन राज्यों में बसे अपनों को वापस लाने की जरूरत ही नहीं समझी। प्रीतम सिंह ने कहा कि जब प्रदेश में वेंटिलेटर नहीं थे, उस मुश्किल वक्त में कुंभ का आयोजन हो रहा था। कुंभ में कोविड जांच में फर्जीवाड़ा हुआ। सरकार पूरी तरह से नाकाम हुई है।

करन माहरा ने सरकार की नाकामी को लेकर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि कोविड टेस्टिंग फर्जीवाड़े में जिम्मेदार अधिकारियों पर आज तक सरकार ने कार्रवाई नहीं की। मंगलौर विधायक काजी निजामुद्दीन ने उन्होंने कहा कि कोविड से लड़ाई में अगर विधायक निधि लगाई जा रही है तो सरकार के स्वास्थ्य विभाग का बजट कहां है। काजी ने प्राइम मिनिस्टर फंड से आए हुए वेंटिलेटर के खराब होने की जांच कराने की मांग की।  भगवानपुर विधायक ममता राकेश ने मांग की कि कोरोना से पीड़ित परिवार को दैवीय आपदा की तर्ज पर चार लाख की मदद दी जाए। जिस घर में कोरोना पीड़ित की मृत्यु हुई है, वहां दस लाख रुपये का बीमा दिया जाए ताकि परिवार की मदद हो सके।

धारचूला विधायक हरीश धामी ने कहा कि सरकार के मुफ्त इलाज के दावे झूठे हैं। कोविड प्रभावितों के इलाज के लिए एक इंजेक्शन ही 33 हजार 956 रुपये का दिया जा रहा था। उन्होंने कहा कि कोविड की दूसरी लहर में उन्होंने अपनी सर्जन बेटी, दामाद को खोया है। खुद वह कोरोना संक्रमित हुए।  पिरान कलियर के विधायक हाजी फुरकान अहमद ने कहा कि दूसरी लहर में सरकार पूरी तरह से फेल हो गई है। पुरोला विधायक राजकुमार ने कहा कि कोरोना के कारण जिनकी मृत्यु हुई है, उनके परिवार में से किसी को नौकरी दी जानी चाहिए। केदारनाथ विधायक मनोज रावत ने कहा कि कोरोना महामारी में सरकार अनिर्णय की स्थिति में नजर आई है। 

सरकार पर उठाए सवाल, मंत्री की तारीफ
एक ओर पूरा विपक्ष कोविड से लड़ाई में सरकार की नाकामी को लेकर सवाल खड़े कर रहा था तो दूसरी ओर अपनी बात रखने के दौरान ही सभी स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत की तारीफ भी करते नजर आए।

उत्तराखंड विधानसभा सत्र के दूसरे दिन जाति प्रमाण पत्र के मुद्दे को लेकर विपक्ष ने सदन से सांकेतिक वॉकआउट किया। कांग्रेस विधायकों ने वेल में आकर हंगामा भी काटा। जवाब में संसदीय कार्य मंत्री बंशीधर भगत ने कहा कि प्रमाण पत्र बनाने में यदि दिक्कतें आ रही हैं तो सरकार इस पर पुनर्विचार करेगी। 

मंगलवार को कांग्रेस विधायक ममता राकेश के कार्यस्थगन प्रस्ताव पर नियम 58 में जाति प्रमाण पत्र के मुद्दे पर चर्चा की गई। विपक्ष की ओर से नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह, विधायक काजी निजामुद्दीन, ममता राकेश ने कहा सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ लेने के लिए लोगों को जाति प्रमाण पत्र बनाने में दिक्कतें आ रही है। जाति प्रमाण पत्र बनाने के लिए वर्ष 1985 के दस्तावेज मांगे जा रहे हैं। दस्तावेज उपलब्ध न होने पर प्रमाण पत्र से वंचित हैं।

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सरकार को जाति प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया का सरलीकरण कर दस्तावेजों के लिए नौ नवंबर 2000 रखी जानी चाहिए। स्थायी निवास प्रमाण पत्र भी मात्र छह माह के लिए मान्य होता है। जिससे बार-बार नए सिरे से प्रमाण पत्र बनाने प्रक्रिया अपनानी पड़ती है। प्रमाण पत्र को मान्य होनेे की तिथि भी एक साल होनी चाहिए। सरकार के जवाब से असंतुष्ट विपक्ष ने वेल में आकर हंगामा काटा और सांकेतिक रूप से वॉकआउट किया। 

हंगामे को देखते हुए कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने विपक्ष के सवालों का जवाब दिया। उन्होंने कहा कि जाति प्रमाण पत्र जारी करने को दस्तोवजों की तारीख 9 नवंबर 2000 है। वर्ष 2013 में कांग्रेस सरकार के समय में इसका शासनादेश जारी किया गया था। जिसमें यह भी प्रावधान किया गया था कि स्थायी निवास प्रमाण पत्र बनाने के लिए राज्य गठन से 15 साल से स्थायी तौर पर राज्य में रहने वाला होना चाहिए। संसदीय कार्य मंत्री बंशीधर भगत ने कहा कि जाति प्रमाण पत्र बनाने में यदि कोई दिक्कत आ रही है तो सरकार इस पर पुनर्विचार करेगी। 

देशराज कर्णवाल ने किया सरकार को असहज

सदन में सत्तापक्ष उस समय असहज हो गया जब कार्यस्थगन में विपक्ष के मामला उठाए जाने के दौरान झबरेड़ा भाजपा विधायक देशराज कर्णवाल ने जाति प्रमाण पत्र के मामले में फाइल मंत्री के कार्यालय में दबी होने की बात उठाई। कर्णवाल ने कहा कि  2014 में न्यायालय ने इस मामले सरकार को आदेश दिया था। लेकिन 2019 से मंत्री के पास फाइल पड़ी है। विपक्ष ने भी देशराज कर्णवाल की टिप्पणी को भुनाने में देरी नहीं लगाई। विपक्ष का कहना था कि जाति प्रमाण पत्र की दिक्कतों का सत्ता पक्ष के विधायक भी स्वीकार कर रहे हैं।


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