हाईकोर्ट का आदेश आने से पहले ही पाकिस्‍तानी जासूस फरार

पासपोर्ट अधिनियम के मामले में रुड़की से पकड़े गए संदिग्ध पाकिस्तानी नागरिक आबिद उर्फ असद बुधवार को लापता हो गया

स बी टी न्यूज उत्तराखंड

रुड़की। वर्ष 2007 में पासपोर्ट अधिनियम के मामले में रुड़की से पकड़े गए संदिग्ध पाकिस्तानी नागरिक आबिद उर्फ असद बुधवार को घर से लापता हो गया। बताया गया है कि बुधवार को नैनीताल हाईकोर्ट से निर्णय आना था। निर्णय आने से पहले ही आबिद घर से फरार हो गया। जिससे पुलिस और खुफिया विभाग में हड़कंप मच गया।

आनन-फानन में उसकी तलाश शुरू की गई, लेकिन अभी तक कोई पता नहीं चल पाया। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि एलआइयू समेत पांच पुलिसकर्मी उसके घर की निगरानी कर रहे थे, लेकिन वह सिलिंडर लेने का बहाना बनाकर घर से निकल गया और फरार हो गया। एसपी देहात परमेंद्र डोभाल ने बताया कि आरोपी की तलाश की जा रही है। शहर में चेकिंग अभियान चलाया जा रहा है।

उधर हाईकोर्ट ने अपने आदेश में हाईकोर्ट में जासूसी के आरोप में पकड़े गए पाकिस्तानी नागरिक आबिद अली उर्फ अजीत सिंह की रिहाई के मामले में सुनवाई हुई। कोर्ट ने आबिद अली की सजा को बरकरार रखने का निर्णय सुनाया है। साथ ही सरकार को आबिद के जमानत बांड को निरस्त कर उसे हिरासत में लेने को कहा है। कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा है कि उसके खिलाफ पर्याप्त सबूत पाए गए हैं, उसने पासपोर्ट एक्ट का दुरुपयोग किया है।

मामला 25 जनवरी 2010 का है। हरिद्वार की गंगनहर कोतवाली पुलिस ने आबिद अली उर्फ असद अली उर्फ अजीत सिंह निवासी लाहौर (पाकिस्तान) को ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट, विदेश एक्ट और पासपोर्ट एक्ट में गिरफ्तार किया था। उसके पास से मेरठ, देहरादून, रुड़की और अन्य सैन्य ठिकानों के नक्शे मिले थे। इसके अलावा एक पेन ड्राइव और कई गोपनीय जानकारी से जुड़े दस्तावेज भी बरामद हुए थे। जिसके बाद पुलिस ने रुड़की के मच्छी मोहल्ला स्थित उसके ठिकाने पर छापा मारा था।

वहां बिजली फिटिंग के बोर्ड और सीलिंग फैन में छिपाकर रखे गए। करीब एक दर्जन सिमकार्ड भी बरामद किए थे. जिस पर पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर रोशनाबाद जेल भेज दिया था। वहीं, निचली अदालत ने 19 दिसंबर 2012 को उसे दोषी पाते हुए सजा सुनाई थी। आरोपी के अधिवक्ता ने एक अपील भी दायर की, लेकिन वकील की ओर से उसके पते इत्यादि के बारे में सही तथ्य नहीं लिखा गया। लेकिन अपर जिला जज (द्वितीय) हरिद्वार ने आरोपी को बरी करने के आदेश पारित किए।

इसके बाद जेल अधीक्षक के स्तर से कोर्ट और एसएसपी को प्रार्थना पत्र देकर बताया गया कि आरोपी विदेशी नागरिक है। उसे रिहा करने से पहले उसका व्यक्तिगत बंधपत्र और अन्य औपचारिकताएं पूरी करनी आवश्यक हैं। अभियोजन पक्ष के मुताबिक, अपर जिला जज ने जेल अधीक्षक के पत्र के संदर्भ में स्पष्ट किया कि इसके लिए अलग से आदेश पारित करने की आवश्यकता नहीं है। अभियोजन की मानें तो एसएसपी की ओर से उक्त मामले में गंभीरता नहीं दिखाई गई और उसे रिहा कर दिया। निचली अदालत के आदेश को सरकार ने हाइकोर्ट में विशेष अपील दायर कर चुनौती दीं।

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