चंपावत उपचुनाव से एक दिन पहले सीएम पुष्कर सिंह धामी पूरे जोर शोर के साथ चुनाव प्रचार के लिए उतरे। सोमवार को वह समर्थकों के साथ बाइक पर डोर टू डोर प्रचार करने निकले। इससे पहले उन्होंने जगन्नाथ चौराहा स्थित महादेव की दुकान में चाय की चुस्की ली।
कल मंगलवार को चंपावत में उपचुनाव होना है। सीएम धामी यहां लगातार जनसभाएं कर लोगों से समर्थन जुटा रहे हैं। आज चुनाव से एक दिन पहले वह समर्थकों के साथ प्रचार में पूरी ताकत झोंकने पहुंचे हैं। करीब 863 साल तक चंद राजवंश की राजधानी रहा चंपावत अब फिर उत्तराखंड की सत्ता की धुरी बन रहा है। 31 मई को हो रहे उपचुनाव में भाजपा के उम्मीदवार के रूप में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पहली बार चुनावी मैदान में उतरी कांग्रेस की निर्मला गहतोड़ी चुनौती दे रही हैं।
चुनाव की तमाम अनिश्चितताओं के बावजूद उपचुनाव के नतीजे को लेकर खास संशय नहीं है लेकिन भाजपा की सारी कोशिश इससे आगे की है। उसका लक्ष्य इस चुनाव में इतिहास रचने का है। वह इसमें कामयाब होगी या नहीं? इस जवाब से भविष्य की सियासत की दिशा तय होगी।उत्तराखंड की पांचवीं विधानसभा के लिए 15 फरवरी को हुए मतदान के 106 दिन बाद 31 मई को चंपावत दूसरी बार मतदान करेगा। इसमें 46042 महिला और 50171 पुरुषों समेत कुल 96213 मतदाता वोट डालेंगे। लगातार दो बार इस सीट को जीत चुकी भाजपा उपचुनाव जीत तिकड़ी बनाने के लिए उत्सुक है।
पांच बार कांग्रेस से प्रत्याशी रहे दो बार के विधायक हेमेश खर्कवाल के बजाय पहली बार महिला प्रत्याशी को मैदान में उतार कांग्रेस ने महिला कार्ड खेलने का प्रयास किया है लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अगर आखिरी वक्त पर कोई चमत्कारिक बदलाव न हुआ, तो अब तक के हालात इस प्रयोग को नाकाफी मान रहे हैं। वहीं सीएम धामी के चंपावत से प्रत्याशी होने से तीन बदलाव साफ हुए हैं। भाजपा की धड़ेबाजी खत्म हुई, कांग्रेस के पांच दिग्गज नेताओं सहित ढेरों पदाधिकारियों की दलीय निष्ठा बदल गई और सबसे बढ़कर आम लोगों का बदला नजरिया। लोग इस चुनाव को मुख्यमंत्री का निर्वाचन क्षेत्र बनने से विकास की आस संजोए हैं। राजनीतिक समीक्षकों का कहना है कि आम लोग इस वीआईपी सीट के जरिये भविष्य को लेकर संजोए सपने को हाथ से नहीं जाने देना चाहते।