परिवहन कारोबारी हुए मायूस, कर्मचारी बोले-अच्छा होता अगर सरकार पुरानी पेंशन बहाल करती

आम बजट पर पुरानी पेंशन बहाली की लड़ाई लड़ रहे संगठनों ने मिलिजुली प्रतिक्रिया दी

समाचार विस्तार से पढ़ें : –

आम बजट पर पुरानी पेंशन बहाली की लड़ाई लड़ रहे संगठनों ने मिलिजुली प्रतिक्रिया दी है। संगठनों का कहना है कि 14 प्रतिशत सरकारी अंशदान पर आयकर छूट तो स्वागत योग्य कदम है लेकिन बेहतर होता कि अगर सरकार पुरानी पेंशन को बहाल कर देती। वहीं संसद में पेश हुए 2022 के आम बजट में इनकम टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया। इससे कर्मचारियों और शिक्षकों में निराश है।

पुरानी पेंशन बहाली राष्ट्रीय आंदोलन के प्रदेश अध्यक्ष जीतमणि पैन्यूली ने कहा कि वह लगातार 14 प्रतिशत सरकारी अंशदान पर आयकर टैक्स में छूट देने का अनुरोध कर रहे हैं। केंद्र ने आम बजट में यह राहत दी जो कि स्वागत योग्य कदम है। जीतमणि ने कहा कि सरकार ने 14 प्रतिशत अंशदान पर आयकर में छूट देकर अच्छा किया है लेकिन अच्छा होता अगर सरकार एनपीएस को समाप्त कर पुरानी पेंशन को लागू करती। जो लाखों कर्मचारियों के भविष्य से जुड़ा हुआ है और कर्मचारी एनएमओपीएस के बैनर तले लगातार आंदोलनरत हैं।

प्रांतीय महामंत्री मुकेश रतूड़ी, कोषाध्यक्ष शांतनु शर्मा, जगमोहन सिंह रावत, सूर्य सिंह पवार, मनोज अवस्थी, हर्षवर्धन ने कहा कि कि कर्मचारियों को उम्मीद थी सरकार पुरानी पेंशन बहाल करेगी। इस बजट में ऐसा न करके सरकार ने कर्मचारियों को निराश किया है। सरकार को आयकर का स्लैब बढ़ाना चाहिए था और 4800 ग्रेड-पे तक सभी कर्मचारियों को आयकर में पूरी तरह से छूट दी जानी चाहिए। अभी भी सरकार को पांच राज्यों में चुनाव के दृष्टिगत आयकर में छूट देनी चाहिए। वहीं, राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीपी सिंह रावत ने कहा कि यह बजट पूरी तरह से निराशाजनक है। उन्होंने कहा कि इसमें सरकारी कार्मिकों के लिए कोई भी लाभकारी कदम नहीं उठाया गया।

पुरानी पेंशन बहाली को चलाया जागरूकता अभियान
राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा के केंद्रीय नेतृत्व के आह्वान पर पांच राज्यो में होने वाले विधान सभा चुनाव के मद्देनजर पुरानी पेंशन बहाली के लिए जागरुकता अभियान चलाया गया। संयुक्त मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीपी सिंह रावत ने कहा कि नई पेंशन व्यवस्था पूरी तरह से बाजार आधारित है और सरकार कर्मचारियों के पैसे से जुआ खेल रही है। उत्तराखंड में भी चुनावी बिगुल बजने के बाद लड़ाई अंतिम दौर में पहुंच चुकी है। अब सभी पार्टियों के घोषणा पत्र का इंतजार है। कर्मचारियों का साफ कहना है कि वह उसी पार्टी को वोट करेंगे, जो पुरानी पेंशन बहाली को अपने घोषणापत्र में शामिल करेगी। इस मौके पर विरेंद्र रावत, सीताराम पोखरियाल, जयदीप रावत, नरेश भट्ट, जसपाल सिंह रावत, लक्ष्मण सिंह रावत, भवान सिंह नेगी, रश्मि गौड़, डॉ. सुमन पांडे, योगेश घिल्डियाल, राजीव शर्मा, राजीव उनियाल, संदीप मैठानी, शंकर भट्ट, रणवीर सिंह,  मुरली मनोहर भट्ट, गुरुदेव रावत, माधव नौटियाल, प्रदीप सजवान, हिमांशु जगूड़ी आदि मौजूद रहे।

ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस ने कहा, केंद्र सरकार उनके प्रति उदासीन
ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस ने आम बजट को परिवहन कारोबारियों के लिए धोखा करार दिया है। संगठन के प्रदेश महासचिव आदेश सैनी सम्राट ने कहा कि कोविड महामारी में घाटे से जूझ रहे परिवहन कारोबारियों को केंद्र सरकार ने किसी भी तरह की राहत नहीं दी है। ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के मुताबिक, कोविड महामारी की वजह से परिवहन कारोबार घाटे में चल रहा है। बहुत सी इंडस्ट्रीज बंद हो गई हैं। ट्रांसपोर्टरों को दो साल से खड़ी गाड़ियों के टैक्स देने पड़ रहे हैं। सरकार रुके हुए टैक्स पर पेनल्टी लगाकर परिवहन कारोबारियों के घर-दफ्तरों में नोटिस भेज रही है। केंद्र सरकार की ओर से ट्रांसपोर्टर्स को कोई भी राहत नहीं दी जा रही है। सरकार हर बार झूठे वादे करके केवल गुमराह करती है। डीजल, पेट्रोल, स्पेयर पार्ट्स, टैक्स आदि में लगातार सरकार बढ़ोतरी कर रही है। डीजल-पेट्रोल को जीएसटी के दायरे में लाने के भी सरकार के वादे हर बार झूठे ही साबित हो रहे हैं।

बजट, ट्रांसपोर्ट व्यावसायियों के लिए निराशाजनक
देहरादून महानगर सिटी बस महासंघ के अध्यक्ष विजय वर्धन डंडरियाल ने कहा कि यह बजट ट्रांसपोर्ट व्यावसायियों के लिए निराशाजनक है। इसमें ट्रांसपोर्ट व्यावसायियों का कोई ध्यान नहीं रखा गया है। न डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया गया और न ही स्पेयर पार्ट्स में जीएसटी को घटाया गया। न ही ट्रांसपोर्ट व्यावसायियों के लिए कोई टैक्स माफी एवं इंश्योरेंस में राहत की घोषणा की गई है।

इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव न होने से कर्मचारी और शिक्षक निराश  
संसद में पेश हुए 2022 के आम बजट में इनकम टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया। इससे कर्मचारियों और शिक्षकों में निराश है। जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के पूर्व प्रांतीय कोषाध्यक्ष सतीश घिल्डियाल ने कहा कि शिक्षकों और कर्मचारियों को इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव की उम्मीद थी। उन्हें उम्मीद थी कि स्टैंडर्ड डिडक्शन 50 हजार से एक लाख किया जाएगा, धारा 80 सी में छूट की सीमा को डेढ़ लाख से बढ़ाकर तीन लाख किया जाएगा। जबकि कर मुक्त आय की सीमा को ढाई लाख से बढ़ाकर पांच लाख किए जाने की उम्मीद थी, लेकिन इस दिशा में कुछ न किए जाने से शिक्षकों को निराश होना पड़ा है। राजकीय शिक्षक संघ के प्रांतीय महामंत्री डॉ. सोहन माजिला ने कहा कि इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव न होने से कर्मचारियों में मायूसी है। उत्तराखंड प्रौद्योगिकी संस्थान कर्मचारी संघ के पूर्व अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद जोशी के मुताबिक बजट से कर्मचारी काफी आस लगाए थे, लेकिन इस बजट से उन्हें निराश होना पड़ा है।

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