आगामी वित्तीय वर्ष के लिए बजट की तैयारी में जुटी प्रदेश सरकार के लिए बजट के भरपूर उपयोग की रणनीति भी बनानी होगी। बजट खर्च भी सरकार के लिए एक चुनौती माना जा रहा है। बीते वित्तीय वर्ष में सरकार ने जितना बजट तय किया था, वह उसका 62.19 प्रतिशत ही खर्च कर पाई। पिछले तीन सालों की तुलना में खर्च की यह दर सबसे कम है।
जून महीने में सरकार वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए बजट लेकर आएगी। जनता का बजट बनाने के लिए सरकार जनता से सुझाव भी मांग रही है। लेकिन वित्त विभाग के अधिकारियों के पास इस प्रश्न का उत्तर नहीं है कि वित्तीय वर्ष के दौरान बजट में जितनी धनराशि का प्रावधान किया जाता है, उसके सापेक्ष जितनी स्वीकृति होती है, वह पूरी खर्च क्यों नहीं हो पाती। हर साल करोड़ों रुपये की धनराशि वित्तीय वर्ष के आखिरी में विभाग क्यों समर्पित कर देते हैं?
नियोजन विभाग से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक, वित्तीय वर्ष 2021-22 में सरकार ने 64485.18 करोड़ रुपये का विभागवार बजट का प्रावधान किया। प्रावधान बजट के सापेक्ष 40105.88 करोड़ रुपये खर्च किए गए। यानी बजट के सापेक्ष खर्च की दर 62.19 प्रतिशत रही।
अलबत्ता कुल बजट से जारी धनराशि के सापेक्ष विभागों ने 87.57 प्रतिशत खर्च किए। चुनावी साल में उम्मीद इससे अधिक धनराशि जारी होने और खर्च की थी। जबकि वित्तीय वर्ष 2020-21 में विभागों ने कुल बजट के सापेक्ष 64.52 प्रतिशत खर्च की, जो बीते वित्तीय वर्ष की तुलना में अधिक था। बजट के सापेक्ष सरकार ने विभागों को जितनी धनराशि जारी की, उसका 89.17 फीसदी खर्च हुआ।
केंद्र पोषित योजनाओं में विभागों में कुल खर्च का ब्योरा
2021-222 14302.09 7657.86 79.06
2020-21 10127.37 6804.71 86.55