नस्लीय हिंसा की बात सामने नहीं आई है: एसएसपी अजय सिंह

त्रिपुरा के छात्र एंजल चकमा की मौत पर एसएसपी का बयान।

देहरादून। 30 दिसंबर को 2025: सेलाकुई में त्रिपुरा निवासी छात्र एंजेल चकमा की हत्या का मामला राष्ट्रीय मुद्दा बना हुआ है, लेकिन वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) देहरादून ने साफ किया है कि इसमें किसी तरह की नस्लीय हिंसा की बात सामने नहीं आई है। उन्होंने कहा कि सेलाकुई क्षेत्र में दो पक्षों के युवकों के बीच हुई मारपीट की घटना में घायल त्रिपुरा निवासी एंजल चकमा की 26 दिसंबर को इलाज के दौरान मृत्यु हो गई।

घटना में दो नाबालिग सहित पांच के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया गया। इनमें तीन को 14 दिसंबर को गिरफ्तार किया गया, जबकि दो को संरक्षण में लिया गया। इसके अलावा घटना में प्रकाश में आए नेपाल निवासी एक अन्य आरोपित जो घटना के बाद से ही लगातार फरार चल रहा है, पर 25 हजार रुपये का इनाम घोषित किया गया है, जिसकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस टीमें नेपाल भेजी गई हैं।

उन्होंने बताया कि इंटरनेट मीडिया में कुछ लोगों की ओर से इस प्रकरण को नस्लीय भेदभाव से जोड़कर प्रसारित किया जा रहा है। प्रकरण की अब तक की विवेचना के दौरान घटना में किसी भी प्रकार की नस्लीय भेदभाव व हिंसा किया जाना प्रकाश में नहीं आया है और ना ही पीड़ित पक्ष की ओर से दी गई तहरीर में इस प्रकार की किसी घटना का होने के संबंध अंकित कराया गया है।

एसएसपी ने बताया कि जांच में सामने आया है कि नौ दिसंबर को मणिपुर निवासी सूरज ख्वास अपने बेटे के जन्मदिन की पार्टी के लिए अपने मित्रों के साथ आपस में मजाक मस्ती कर रहा था। इस दौरान पीडित एंजेल चकमा व उसके साथियों को यह लगा कि आरोपित उस पर कमेंट कर रहे हैं तथा दोनों पक्षों में इस बात को लेकर विवाद हो गया। मारपीट में एंजेल चकमा व उसके भाई माइकल चकमा के भी चोटें आई व एंजेल चकमा की उपचार के दौरान मृत्यु हो गई। अब तक की विवेचना में प्रकाश में आया है कि आरोपितों में सूरज ख्वास खुद नार्थ इस्ट राज्य मणिपुर का निवासी है और एक अन्य आरोपित यक्षराज नेपाल का निवासी है।

एसएसपी ने बताया कि सभी आरोपित पर्वतीय राज्य व एक नेपाल से हैं और सभी आरोपित सामान्यत: शारीरिक बनावट से पर्वतीय परिक्षेत्र के दिखने वाले हैं। पुलिस टीम की ओर से घटनास्थल के आसपास के लोगों से घटना वाले दिन हुए पूरे घटनाक्रम की विस्तृत जानकारी ली गई तो किसी भी आरोपित की ओर से एंजेल के साथ किसी भी प्रकार की नस्लीय टिप्पणी व हिंसा किया जाना प्रकाश में नहीं आया है। जिससे इस प्रकार आवेश में आकर किए गए एक घटनाक्रम को नस्लीय हिंसा व भेदभाव से जोड़े जाने के संबंध में कोई भी साक्ष्य प्रकाश में नहीं आया है।

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