कोरोना की दूसरी लहर आने के बाद तेजी से बढ़ी मृत्यु दर के कारणइश्योरेंस कंपनियां अपने टर्म प्लान पर प्रीमियम बढ़ाने जा रही हैं
एसबीटी न्यूज उत्तराखंड
देहरादून। महामारी कोरोना की दूसरी लहर आने के बाद तेजी से बढ़ी मृत्यु दर के कारण ग्लोबल रीइंश्योरेंस कंपनी के आग्रह पर इश्योरेंस कंपनियां अपने टर्म प्लान पर प्रीमियम बढ़ाने जा रही हैं। जहां कुछ कंपनियां अगले महीने तक ऐसा करेंगी तो वहीं दूसरी ओर अन्य कंपनियां जनवरी के बाद प्रीमियम बढ़ा सकती हैं।
वैश्विक रीइंश्योरेंस कंपनी म्यूनिख रे ने अपने इंश्योरेंस पार्टनर्स को सितंबर में इस बढ़ोतरी के बारे में बताया था जिसके बाद से ही बीमाकर्ता प्रीमियम में वृद्धि की राशि को लेकर रीइंश्योरेंस कंपनियों के साथ बातचीत में लगे हुए हैं। पहले भारत में टर्म प्लान की कीमतें दुनिया में सबसे कम थीं, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में हुए बदलावों के दौरान इसे कई गुना अधिक बढ़ा दिया गया है। हालांकि, बीमा इंडस्ट्री का कहना है कि यह वृद्धि दर आगे आने वाले कुछ वर्षों तक दुबारा नहीं बढ़ाई जायेगी, जब तक कि कोई बेहद खराब स्थिति नहीं आ जाती।
बीमा जगत से जुड़े सूत्रों के मुताबिक इस बार टर्म प्लान की कीमतों में 20 प्रतिशत से अधिक का संशोधन (बदलाव) हो सकता है, जो बीमाकर्ता की बीमा राशि पर निर्भर करेगा। बीमा विशेषज्ञों का कहना है कि बड़ी बीमाकर्ता कंपनियां छोटी बढ़ोतरी के लिए मोलभाव कर सकती हैं और इसमें से कुछ का भार उठा भी सकती हैं। लेकिन छोटी कंपनियों को बढ़ोतरी का एक बड़ा हिस्सा उपभोक्ताओं को देना पड़ सकता है।
खबर के मुताबिक यह बढ़ोतरी 25 से 40 फीसदी के बीच हो सकती है और रीइंश्योरेंस कंपनियों की 30-48 प्रतिशत की वृद्धि मांग के कारण बढ़ोतरी का पूरा भार उपभोक्ताओं पर न डाला जाए। बीमाकर्ता कुछ बढ़ोतरी का भार खुद भी उठा सकते हैं। कोविड-19 की शुरुआत से पहले ही, बीमाकर्ता टर्म उत्पादों को लेकर तेज हो गए थे जिसके परिणामस्वरूप मूल्य युद्ध हुआ और हर कोई उस समय सबसे सस्ती दर पर टर्म उत्पादों का ऑर्डर देना चाह रहा था। लेकिन अंडरराइटिंग की गुणवत्ता में आई कमी के कारण ऐसा नहीं हो सका।
कोविड-19 ने इस बहस को और तेज किया जिसके चलते अब बीमाकर्ताओं ने टर्म सेगमेंट में अपने अंडरराइटिंग मानकों को कड़ा कर दिया है। यहां तक कि ग्लोबल रीइंश्योरेंस द्वारा कवर नहीं होने वाली इंश्योरेंस कंपनिया भी टर्म प्लान में बढ़ोतरी कर रही हैं।