उत्तराखंड: फूलों की घाटी की यात्रा शुरू होने की तारीख में हो सकता है बदलाव

चमोली। फूलों की घाटी के रास्ते फिल्हाल हिमखंड बाधा बन रहे हैं। वन विभाग की टीम घांघरिया में ही कैंप कर इन हिमखंडों के पिघलने का इंतजार कर रही है। अगर निर्धारित समय पर सुरक्षित रास्ता नहीं बन पाया तो राष्ट्रीय पार्क प्रशासन फूलों की घाटी की यात्रा तिथि एक जून से आगे खिसका सकता है।

गौरतलब है कि प्रतिवर्ष फूलों की घाटी पर्यटकों के लिए एक जून से खुलकर अक्टूबर माह तक सुचारु रहती है। इस दौरान हजारों देशी विदेश पर्यटक घाटी का दीदार करते हैं। इस बार फूलों की घाटी के रास्ते में घांघरिया से आधे किमी दूर पर भूसा नाला व तीन किमी दूरी पर ग्लेशियर प्वांइट में विशालकाय हिमखंड पसरे हुए हैं। इसके अलावा कई छोटे हिमखंड भी हैं।

फूलों की घाटी में इन दिनों जंगली ककड़ी, प्रिमुला, डेंटीकुलेटा सहित अन्य प्रजाति के फूल खिल रहे हैं। घाटी में बर्फ पिघलने के साथ फूलों का खिलना भी शुरू हो गया है। प्रभागीय वनाधिकारी बी मार्तोलिया ने बताया कि एसडीआरएफ, प्रशासन व वन विभाग द्वारा घाटी का निरीक्षण करने के बाव ही फूलों की घाटी में जाने की इजाजत दी जाएगी।

कहा कि अगर मई माह में रास्ता सुचारु नहीं हुआ तो एक जून के बजाय फूलों की घाटी खोलने की तिथि आगे बढाई जाएगी। कहा कि वन विभाग की टीम घांघरिया में ही कैंप किए हुए हैं। जैसे ही स्थितियां अनुकूल होंगी हिमखंड काटने का कार्य शुरू किया जाएगा।

फूलों की घाटी में पांच सौ से अधिक प्रजाति के फूल खिलते हैं। घाटी में अलग-अलग मौसम में अलग-अलग प्रजाति के फूल खिलने के साथ ही 15 दिनों में ही घाटी का रंग भी बदल जाता है।

फूलों की घाटी को वर्ष 1982 में नेशनल पार्क व वर्ष 2005 में विश्व धरोहर घोषित किया गया था। यह अपनी जैव विविधता के लिए विश्व भर में पहचान बनाए हुए है। फूलों की घाटी की खोज वर्ष 1931 फ्रैंक स्मिथ ने कामेट पर्वतारोहण के दौरान रास्ता भटकने के दौरान की थी।

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