गढ़वाल और कुमाऊं को जोड़ने वाली कंडी रोड पर लोगों की आवाजाही पाखरो टाइगर सफारी के लिए बंद कर दी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर पाखरो टागइर सफारी मामले की जांच कर रही सेंट्रल इंपावर्ड कमेटी(सीईसी) की बैठक में राज्य के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन ने ये हलफनामा दिया है। इसके बदले वन विभाग दूसरा वैकल्पिक मार्ग तलाशेगा। बैठक में मिनट गुरुवार को जारी किए गए। जिसमें इसकी जानकारी दी गई है।
कंडी रोड का करीब तीन किलोमीटर का हिस्सा कार्बेट के पाखरो टाइगर सफारी से सटा हुआ। जिस पर बड़ी संख्या में गढ़वाल से कुमाऊं को जाने वाले लोगों की आवाजाही होती है। इस रोड का करीब पचास किलोमीटर का हिस्सा कार्बेट में आने के कारण बंद है,जिसे राज्य सरकार पिछले कई सालों से पूरी तरह खोलने की कसरत में लगी है। लेकिन अब इस रोड के इस खुले हुए हिस्से को भी वन विभाग बंद करने जा रहा है। चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन ने सीईसी के सामने ये स्वीकार किया है कि वे इस रोड को बंद कर देंगे। ताकि सफारी में दिक्कत ना हो। विभागीय सूत्रों का कहना है कि कंडी रोड के इस हिस्से को बंद करने या चालू रखने का निर्णय सरकार के स्तर से हो सकता है। ऐसे में वन विभाग के स्तर से लिए गए इस फैसले की विभाग में काफी चर्चा है। कमेटी के सदस्य सचिव अमरनाथ सेट्ठी की ओर से मिटिंग के मिनट्स जारी कर ये जानकारी दी गई है।
बिना डीपीआर कर दिया काम
मीटिंग के मिनट्स में ये भी जानकारी दी गई है कि पाखरो टाइगर सफारी की डीपीआर सेंट्रल जू अथारिटी से पास नहीं हैं। सिर्फ सैंद्धांतिक मंजूरी के बाद ही यहां काम कर दिया गया है। जो कि गलत है। ये भी कहा गया है कि टाइगर रिजर्व के भीतर टाइगर सफारी बनाने से बाघों का प्राकृतिक वास स्थल सिकुड़ सकता है। जो वन्यजीव संरक्षण के लिए बड़ा खतरा हो सकता है। इसके अलावा ये भी कहा गया है टाइगर सफारी के लिए कोई और वैकल्पित जगह भी विभाग की ओर से नहीं बताई गई,एक ही जगह बताई गई और उसमें बिना अनुमति काम भी शुरू कर दिया गया।