उत्तराखंड के समस्त कैंट बोर्ड के चुनाव 30 अप्रैल को

देहरादून। आठ साल बाद रक्षा मंत्रालय ने कैंट बोर्डों के चुनाव की अधिसूचना जारी कर दी है। उत्तराखंड के नौ कैंट बोर्डों सहित देश के सभी 57 कैंट बोर्डों में आगामी 30 अप्रैल को चुनाव होंगे। यह आदेश संयुक्त सचिव राकेश मित्तल की ओर से सभी छावनी परिषदों को भेजा गया है।
पिछली बार वर्ष 2015 में कैंट बोर्डों के चुनाव हुए थे। इसके बाद वर्ष 2020 में चुनाव होने थे, लेकिन रक्षा मंत्रालय कैंट बोर्डों का एक्ट बनाने की कवायद कर रहा है। नए एक्ट के कारण रक्षा मंत्रालय ने कैंट बोर्डों का कार्यकाल एक साल के लिए बढ़ा दिया। 12 फरवरी 2021 को रक्षा मंत्रालय ने सभी कैंट बोर्डों को भंग कर दिया और छह माह के लिए वैरी बोर्ड के गठन को मंजूरी दी।
इसके बाद कैंट बोर्डों की कमान अध्यक्ष, सीईओ और एक नामित सदस्य के हाथ में आ गई। इसके बाद फिर वैरी बोर्ड को तीन बार छह-छह माह का एक्सटेंशन दे दिया गया। रक्षा मंत्रालय ने तीस अप्रैल को चुनाव की तिथि घोषित कर दी गई है। उत्तराखंड में नौ कैंट बोर्ड हैं। इसमें रुड़की, देहरादून कैंट, क्लेमेंटटाउन कैंट, लंढौर, चकराता, रानीखेत, अल्मोड़ा, नैनीताल, लैंसडौन शामिल हैं। 30 अप्रैल को कैंट बोडों में होने वाले चुनाव कैंट एक्ट 2006 के अनुसार ही होंगे। नए एक्ट 2022 को लोकसभा और राज्य सभा में मंजूरी नहीं मिली है।
दरअसल, कैंट बोर्ड छावनी अधिनियम 2006 के आधार पर चल रहा है। रक्षा मंत्रालय लंबे समय से कैंट बोर्डों के लिए नया एक्ट बनाने की कवायद कर रहा है। इस नए एक्ट में कैंट बोर्ड उपाध्यक्ष को अधिकार देने और उपाध्यक्ष का चुनाव मेयर की तरह सीधे जनता से कराने का प्रावधान किया जा रहा है। साथ ही एक्ट में कई अन्य प्रावधान भी किए जा रहा हैं। लेकिन अभी तक लोकसभा और राज्यसभा में एक्ट को मंजूरी नहीं मिल पाई है। सीईओ कैंट क्लेमेंटटाउन कौशल गौतम ने कहा कि तीस अप्रैल को होने वाले चुनाव छावनी अधिनियम 2006 के आधार पर ही होंगे।
रक्षा मंत्रालय कैंट क्षेत्र में मौजूद सिविल एरिया संसद में पारित होने के बाद ही एक्ट को को कैंट से बाहर करने की योजना बना रहा है। इसके लिए बाकायदा सर्वे भी हो चुका है। साथ ही कैंट बोडों से जो सिविल एरिया बाहर होना है, उसकी लिस्ट भी रक्षा मंत्रालय को भेज दी है। चुनाव घोषित होने के बाद अब इस कवायद पर भी फिलहाल विराम लग सकता है।

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