जनपद के कई क्षेत्र आजादी के सात दशकों के बाद भी मूलभूत सुविधाओं के अभाव में जीवन यापन कर रहे हैं
मुख्यमंत्री व मुख्य निर्वाचन अधिकारी को लिखा पत्र
एस बी टी न्यूज उत्तराखंड
देहरादून। जनपद के कई क्षेत्र आजादी के सात दशकों के बाद भी मूलभूत सुविधाओं के अभाव में जीवन यापन कर रहे हैं। इस बार कई गांव के लोगों ने सड़क, संचार जैसी सुविधाएं न मिलने के चलते विधानसभा चुनाव बहिष्कार की चेतावनी दी है। इस बार कई गांवों से संचार सुविधा नहीं तो वोट नहीं का नारा जोर पकड़ रहा है। टिहरी गढ़वाल के भिलंगना ब्लॉक मुख्यालय का सबसे नजदीकी गांव सेंदुल केमरा के ग्रामीण 4जी, 5जी के युग में भी संचार सुविधा के अभाव में जीने को मजबूर हैं।
सेंदुल केमरा गांव घनसाली विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है जो कि पूरी विधानसभा क्षेत्र में शिक्षा के हब के नाम से भी जाना जाता है। यहां पर वर्तमान में दो महाविद्यालय, एक इंटर कॉलेज, एक छात्रावास व एक प्राथमिक विद्यालय संचालित हैं। सूचना क्रांति के इस दौर में जहां प्रधानमंत्री द्वारा डिजिटल इंडिया का नारा दिया जा रहा है वही सेंदुल के ग्रामीण इस डिजिटल दौर में अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। जहां एक ओर इस कोरोना महामारी के दौर में बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई के लिए नेटवर्क की ढूंढ में दूर जंगलों में जाने को मजबूर होना पड़ा।
सेंदुल के ग्रामीणों द्वारा संचार सुविधा के समाधान के संबंध में प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, क्षेत्रीय विधायक तथा जिलाधिकारी व उप जिलाधिकारी को विगत कई वर्षों से अव्यवस्थित दूरसंचार के संबंध में बार-बार अवगत करवाते आ रहे हैं किंतु आज तक उक्त विषय पर अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों द्वारा कोई भी समाधान नहीं निकाला जा सका।
अब ग्रामीणों ने मजबूर होकर ग्राम प्रधान सविता मैठाणी के माध्यम से शासन प्रशासन तक अपनी बात पहुंचाने के लिए मुख्य निर्वाचन अधिकारी उत्तराखंड को पत्र लिखकर समस्या का समाधान ना होने पर विधानसभा चुनाव बहिष्कार की चेतावनी दी है। सेंदुल के ग्रामीणों का कहना है कि दूरसंचार की समस्या के संबंध में शासन एवं प्रशासन को जानकारी होने के बावजूद भी ग्रामसभा सेंदुल की समस्या के समाधान हेतु शासन एवं प्रशासन को कोई रुचि नहीं है जिससे समस्त ग्राम पंचायत द्वारा हताश होकर जागरूक लोगों ने आपस में विचार-विमर्श कर निर्णय लिया कि यदि शीघ्र ही छात्र हित एवं क्षेत्र हित में उपरोक्त समस्या का समाधान नहीं किया गया तो अंतिम विकल्प के रूप में ग्रामसभा वासियों द्वारा आगामी 2022 विधानसभा के साथ-साथ जब तक समस्या का समाधान नहीं किया जाता सभी चुनाव का बहिष्कार किया जाता रहेगा। अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या शासन प्रशासन एवं स्थानीय जनप्रतिनिधियों द्वारा उक्त समस्या का कोई हल निकल पाएगा या नहीं।